बारिश कि बूंदों से ,
भीगा हुआ सावन है आया !
कलियों के चेहरों पर ,
खिलता हुआ यौवन है छाया !
नदियों और तालाबों में ,
उमंगों से भरा जीवन है आया !
घनघोर घटाएँ ऐसी है बरसी ,
इठलाता हुआ सावन है आया !
धरती की प्यास बुझाकर ,
ऐसा निर्मल जल है आया !
मेघों ने मल्हार जो छेडी ,
तो झूम-झूम कर सावन है आया !
बारिश की बूंदों से ,
भीगा हुआ सावन है आया !
- सोनल पंवार
( http://princhhi.blogspot.com )
खुशी का इजहार..सावन से प्यार..सुन्दर रचना!!
ReplyDeletesawan mein higi si sunder rachana badhai
ReplyDeletebhigi si padhe
ReplyDeleteसुन्दर रचना!!#
ReplyDeleteआभार/ शुभकामनाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगत
aapko baraabar "MAA" blog par padhte rahe hain. yahaan bhi achchha likha hai. badhai.
ReplyDelete