Tuesday, January 25, 2011

' यादें '

' यादें '
ज़िन्दगी के रंगीन पन्नों को
यादों की शबनम में भिगोना है मुझे ,
यादों के हर एक पल को
अपनी आँखों में संजोना है मुझे ,
बीत जाए ना ये ज़िन्दगी
वक़्त की आग़ोश में ,
वक़्त को हाथों में समेटकर
खुद को यादों के समंदर में डुबोना है मुझे !
- सोनल पंवार

'माँ और पिता'

" माँ और पिता "

ईश्वर की बनाई ममता की मूरत है 'माँ' ,
ईश्वर ने गढ़ी वो अनमोल कृति है 'पिता' !
जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है 'माँ' ,
जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त लौ है 'पिता' !
ज़िन्दगी के आशियाने का स्तंभ है 'माँ' ,
उस स्तंभ का आधार-नींव है 'पिता' !
मेरे जीवन का अस्तित्व है जिनसे ,
ईश्वर की वो अनमोल सौगात है - 'माँ और पिता' !

- सोनल पंवार