Saturday, June 14, 2014

' पिता '

   Happy Father's Day

             ' पिता '

जैसे किसी बगिया की फुलवारी का 
बाग़बान रखता है ध्यान ,
वैसे ही पिता के साये में 
बच्चों के होठों पर खिलती है मुस्कान !
पिता का साया है वो आसमान ,
जिससे मिलता है उन्हें खुशियों का जहान ,
बगिया के हर एक फूल-सा ,
महकता है उनका बचपन नादान !
बिना बाग़बान के जैसे सूना है ये चमन ,
बिन हवा के नीरव है ये गगन ,
वैसे ही बिना पिता के साये के ,
खामोश-सहमा है ये बचपन !

                    - सोनल पंवार