Happy Father's Day
' पिता '
जैसे किसी बगिया की फुलवारी का
बाग़बान रखता है ध्यान ,
वैसे ही पिता के साये में
बच्चों के होठों पर खिलती है मुस्कान !
पिता का साया है वो आसमान ,
जिससे मिलता है उन्हें खुशियों का जहान ,
बगिया के हर एक फूल-सा ,
महकता है उनका बचपन नादान !
बिना बाग़बान के जैसे सूना है ये चमन ,
बिन हवा के नीरव है ये गगन ,
वैसे ही बिना पिता के साये के ,
खामोश-सहमा है ये बचपन !
- सोनल पंवार
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