Friday, July 3, 2009

' बचपन की वो मीठी यादें '

“बचपन की वो मीठी यादें“

बचपन की वो मीठी यादें ,
वो नन्हीं-सी अठखेलियां ,
याद आती है बहुत ,
वो भोली-सी नादानियां !

वो माँ का आँचल और

पापा की अंगुली थामें ,
चलना, गिरना और फिर संभलना !
वो नन्हीं हथेलियों से अपने चेहरे को छुपाना ,
फिर उन्हीं हथेलियों से झांक कर मुस्कुराना !
वो टिमटिमाते तारों को पकड़ने की आस में
आसमान को एकटक यूँ ही तकते रहना ,
और न पाकर उन्हें मायूस-सा हो जाना !
वो नन्हें हाथों से मिट्टी का घरोंदा बनाना ,
और लहरों का उसे अपने संग बहा ले जाना ,
लेकिन फिर भी मिट्टी के नए घरोंदे बनाना !
वो बारिश की फुहारों से ख़ुद को भिगोना ,
और घर आकर माँ की डांट खाना ,
लेकिन अगले ही पल एक प्यारी-सी मुस्कान पर ,
माँ के गुस्से का गायब हो जाना !
वो नए-नए खिलौने लाना और
अपनी गुड़िया से बातें करना ,
वो आइसक्रीम और चॉकलेट की
अपने बड़ों से सिफारिश करना ,
वो इन्द्रधनुषी रंगों से
अपने घर की दीवारों को सजाना ,
वो तुतलाती हुई आवाज़ में
नई - नई कवितायें सुनाना ,
और सवालों की लम्बी लड़ियों में
सबको यूँ ही उलझाना !
वो भोली-सी सूरत बनाकर
अपनी हर ज़िद मनवाना !
वो मासूम निगाहों से
अनकही बात बताना !

बचपन की वो मीठी यादें ,

वो बीता हर लम्हा ,
याद आता है बहुत ,
जब होती हूँ तनहा !

काश, लौट आए बचपन के वो दिन ,

और भर दें मन में जीने की वही उमंग ,
ना कोई चिंता हो , ना कोई शिकन ,
जिंदगी में हो बस खुशियों की तरंग !

बचपन की वो मीठी यादें ……।


– सोनल पंवार

2 comments:

  1. कविता सब अहसास समेटे हुए निरंतर बहती है मुझे कुछ और विषयों पार आपसे कविता की प्रतीक्षा है कठोर धरातल का स्पर्श जब कविता में उतर आयेगा तब कविता में दिखाई देंगे नए रंग. शुभकामनाएं लिखते रहिये

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  2. सोनल ब्लॉग परिवार में आपका स्वागत है
    अच्छा लिखती हैं आप
    वीनस केसरी

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