Friday, June 24, 2011

' आँखें '

“ आंखें “

रिश्तों में हो मिठास ,
तो आंखों में चमक आती है !
जब बिगड़ती है कोई बात ,
तो आंखों से छलक जाती है !
ये आंखें ही तो होती है मन का दर्पण ,
जिनसे मन की हर बात झलक जाती है !

– सोनल पंवार

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