Sunday, May 24, 2009

FOR MY FATHER

बहती नदिया की धारा को जैसे

अपने भीतर समाया है सागर ने ,

अपनों के प्यार और सम्मान को वैसे

अपने भीतर संजोया है आपने !

आपके आदर्शों की परछाई तले

पले-बढे है हम सभी ,

इन आदर्शों को साथ लिए

जीवन जीना सिखाया है आपने !

आसमान की तरह ऊंची है

आपके व्यक्तित्व की ऊँचाई ,

अपने सद्गुणों से इस व्यक्तित्व को

और भी गरिमामय बनाया है आपने !

कहते है ” धरती पर रूप माता-पिता का

पहचान है उस विधाता की ” ,

लेकिन इन कोरी पंक्तियों को

जीवन का यथार्थ बनाया है आपने !

- सोनल पंवार

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