बहती नदिया की धारा को जैसे
अपने भीतर समाया है सागर ने ,
अपनों के प्यार और सम्मान को वैसे
अपने भीतर संजोया है आपने !
आपके आदर्शों की परछाई तले
पले-बढे है हम सभी ,
इन आदर्शों को साथ लिए
जीवन जीना सिखाया है आपने !
आसमान की तरह ऊंची है
आपके व्यक्तित्व की ऊँचाई ,
अपने सद्गुणों से इस व्यक्तित्व को
और भी गरिमामय बनाया है आपने !
कहते है ” धरती पर रूप माता-पिता का
पहचान है उस विधाता की ” ,
लेकिन इन कोरी पंक्तियों को
जीवन का यथार्थ बनाया है आपने !
- सोनल पंवार
No comments:
Post a Comment