माँ ,
एक शब्द ,
छिपा है जिसमे ,
एक अनोखा संसार !
माँ ,
एक शब्द ,
आँचल में जिसकी ,
सुकून है सारे जहाँ का !
माँ ,
एक शब्द ,
गहराई है जिसकी ,
अथाह सागर के समान !
माँ ,
एक शब्द ,
सबसे है न्यारा ,
सबसे प्यारा ये शब्द !
– सोनल पंवार
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sundar bhav.
ReplyDeleteआज भी जब
सख्त रास्तों से गुज़रता हूँ
तो माँ को याद करता हूँ
और फिर
सख्त रास्ते भी
मखमली कालीन बन जाते है!
बहुत सुन्दर कविता ..माँ पर जितना लिखा जाए ....कम ही है ,
ReplyDeleteमां वो शव्द है जिस मै छिपी है सारी सृष्टि. बहुत सुंदर लगी आप की कविता, धन्यवाद
ReplyDeleteआज 'मदर्स-डे' पर आपकी यह कविता बेहद पसंद आई, इसे हम 'ताका-झाँकी' पर साभार प्रकाशित कर रहे हैं-
ReplyDeletehttp://tak-jhank.blogspot.com/2010/05/blog-post_09.html
माँ एक शब्द नहीं
ReplyDeleteएहसास है
एक अटूट रिश्ता;
एक विश्वास है
waah sonal ji ma kisi din ki mohtaaj nahi...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता :)
ReplyDeleteमदर्स डे के शुभ अवसर पर ...... टाइम मशीन से यात्रा करने के लिए.... इस लिंक पर जाएँ :
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/05/blog-post.html