‘ मेरे सपनों का भारत ‘
मेरे सपनों का भारत है ऐसा ,
सारे जहाँ से न्यारा न है कोई इस जैसा !
गीता, कुरान, गुरुग्रंथ या बाइबिल हो ,
सभी ग्रंथों का यहाँ आदर समान हो !
राम, रहीम, गुरुनानक या ईसा हो ,
सभी धर्मों का एक ही धर्मगुरु हो !
ऊंच-नीच का भेद न हो कोई ,
न निर्धन न धनवान हो कोई !
समता व भाईचारे की यहाँ बहती निर्मल धार हो ,
इस देश के लोगों का एक समान अधिकार हो !
देश की नींव टिकी हो युवाशक्ति के कंधों पर ,
इस नींव की मज़बूती हो आत्मशक्ति के बल पर !
भारत की उन्नति के नित नए द्वार खुलते रहें ,
नवयुवक इस लक्ष्य को लिए इसी जोश में बढ़ते रहें !
विश्व में भारत की एक अलग पहचान बने ,
सर्वधर्मसद्भाव ही इस देश का आधार बने !
भारत की सभ्यता व संस्कृति का सानी नहीं कोई ,
विश्व के इतिहास में ऐसा स्वाभिमानी नहीं कोई !
वतन की सरज़मीं पर हुए शहीदों का बलिदान न व्यर्थ हो ,
उनकी कुर्बानी को याद कर युवाओं में देशभक्ति का संचार हो !
देश के नवयुवक जाग्रत हो देश का ऊँचा नाम कराएं ,
विश्व के मंच पर मिसाल बन भारत को महाशक्ति बनाएं !
मेरा सपना है कि भारत एक दिन विकसित देशों कि श्रेणी में आए ,
और एक बार फिर से सोने कि चिडियां कहलाए !
- सोनल * पंवार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
ishwar karen aapka sapna sach ho प्रिय मित्र ,साहित्य हिन्दुस्तानी पर पधारने और अपनी आमद दर्ज कराने का शुक्रिया ,अगर आप अपने अन्नदाता किसान का तथा धरती माँ का कर्ज उतारना चाहते हैं तो कृपया मेरासमस्त पर पधारिये एवं जानकारियों का लाभ खुद भी उठाएं तथा जानकारी किसानों एवं रोगियों में बाँटें
ReplyDeletehey this is nice. I thank the one who has written this poem.
ReplyDelete