( 9 अगस्त 2009 मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन था क्योंकि उस दिन मैंने अपने पापा को हमेशा के लिए खो दिया ! पापा अब कभी नहीं आयेंगे लेकिन फिर भी मुझे हमेशा पापा का इंतज़ार रहेगा ! शायद ये इंतज़ार कभी ख़त्म नहीं होगा ! )
“ पापा कब आओगे ? “
पापा कब आओगे ?
जाने कब से ढूंढ रही हूँ
अपनों में और सपनों में ,
इन पलकों की छाँव तले
क्या एक झलक ना दिखलाओगे ?
सच बोलो ना पापा मुझसे ,
पापा कब आओगे ?
आपको याद करके माँ
हर दिन है रोया करती ,
आपकी यादों में वो
हर पल है खोया करती ,
यादों के इन झरोंखों से बाहर
क्या आप कभी ना आओगे ?
सच बोलो ना पापा मुझसे ,
पापा कब आओगे ?
आपके बिना सूना है घर-आँगन ,
आपके बिना सूना है ये जीवन ,
क्या अपनी आवाज़ इस घर-आँगन में
फिर से नहीं सुनाओगे ?
सच बोलो ना पापा मुझसे ,
पापा कब आओगे ?
क्या रूठे हो पापा मुझसे
या खुशियाँ हमसे रूठ गई है ,
इन रूठी खुशियों को क्या
फिर से नहीं मनाओगे ?
सच बोलो ना पापा मुझसे ,
पापा कब आओगे ?
जानती हूँ जीवन की इस सच्चाई को
कि आप कभी ना आओगे ,
फिर भी आँखों में छिपे इस इंतज़ार को
क्या कभी ना ख़त्म करवाओगे ?
सच बोलो ना पापा मुझसे ,
पापा कब आओगे ?
पापा आप कब आओगे ?
- सोनल पंवार
Wednesday, December 30, 2009
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