Saturday, July 25, 2009

' गीत '

“ गीत ”

ज़िंदगी एक गीत है ,
इसे प्यार से गुनगुना लो !
ग़मों के बादल भी छाए ,
तो ज़रा-सा मुस्कुरा लो !
साँसों की सरगम पे ,
एक नया गीत तुम बना लो !
अगर तुम्हें मिले न प्रीत कोई ,
तो इसे तुम मन का मीत बना लो !
ज़िंदगी के कोरे पन्नों पर ,
एक मधुर संगीत सजा लो !
आशा की किरणें बरसा कर ,
इसे तुम रोशनी से जगमगा लो !
अपने दामन में तुम ,
खुशियों का चमन बसा लो !
बेशकीमती है ये ज़िंदगी ,
इसे तुम गीतों से सजा लो !

- सोनल पंवार

6 comments:

  1. क्या खूब लिखा है ...अच्छे विचारों के लिए आभार

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  2. nice poem

    http://ashokvichar.blogspot.com

    ReplyDelete
  3. बहुत बढिया कविता.

    ReplyDelete
  4. सकारात्मक भाव की रचना। लिखते रहें।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    ReplyDelete
  5. क्या बात है, बेहतरीन!!

    ReplyDelete
  6. ज़िंदगी एक गीत है ,
    इसे प्यार से गुनगुना लो !
    क्‍या बात है !!

    ReplyDelete