Tuesday, July 14, 2009

' सावन '

' सावन '

बारिश कि बूंदों से ,
भीगा हुआ सावन है आया !
कलियों के चेहरों पर ,
खिलता हुआ यौवन है छाया !
नदियों और तालाबों में ,
उमंगों से भरा जीवन है आया !
घनघोर घटाएँ ऐसी है बरसी ,
इठलाता हुआ सावन है आया !
धरती की प्यास बुझाकर ,
ऐसा निर्मल जल है आया !
मेघों ने मल्हार जो छेडी ,
तो झूम-झूम कर सावन है आया !
बारिश की बूंदों से ,
भीगा हुआ सावन है आया !

- सोनल पंवार

( spsenoritasp@gmail.com )

( http://princhhi.blogspot.com )

5 comments:

  1. खुशी का इजहार..सावन से प्यार..सुन्दर रचना!!

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  2. sawan mein higi si sunder rachana badhai

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  3. सुन्दर रचना!!#


    आभार/ शुभकामनाओ सहित
    हे प्रभु यह तेरापन्थ
    मुम्बई टाईगत

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  4. aapko baraabar "MAA" blog par padhte rahe hain. yahaan bhi achchha likha hai. badhai.

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