Friday, July 10, 2009

' स्वर्ग '

' स्वर्ग '

गर आसमां मुझे मिल जाए ,
तो इस जहाँ को मैं तारों से रोशन कर दूँ !
गर धरा मुझे मिल जाए ,
तो इस बंजर धरा को मैं गुलज़ार कर दूँ !
गर सागर की गहराई मुझे मिल जाए ,
तो मानव का मानव के प्रति प्यार गहरा कर दूँ !
गर पंछी की उड़ान मुझे मिल जाए ,
तो इस समाज को दासता की बेडियों से आज़ाद कर दूँ !
गर बरसात की फुहार मुझे मिल जाए ,
तो इस दुनिया में खुशियों की बौछार कर दूँ !
गर बर्फ की शीतलता मुझे मिल जाए ,
तो इस मानव मन को मैं शीतल कर दूँ !
गर ईश्वर की भक्ति मुझे मिल जाए ,
तो इस ब्रह्माण्ड को मैं भक्ति से पावन कर दूँ !
गर भगवान मुझे मिल जाए ,
तो इस धरती को मैं स्वर्ग-सी आबाद कर दूँ !

-सोनल पंवार

3 comments:

  1. waah sonal ji bahut khoobsoorat ghazal hai aapka to andaaj hi alag hai

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  2. bahut khoob
    atyant pyaari kavita .........
    badhaai !

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  3. काश कि ऐसा होता दो मुट्ठियों में हज़ार तारे होते कुछ मेरे होते कुछ तुम्हारे होते कि तर्ज़ पर आप बाँट सकती हैं खुशियाँ, आशा के दीप जलाते रहिये

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