Wednesday, May 5, 2010

" माँ "

माँ ,
एक शब्द ,
छिपा है जिसमे ,
एक अनोखा संसार !

माँ ,
एक शब्द ,
आँचल में जिसकी ,
सुकून है सारे जहाँ का !

माँ ,
एक शब्द ,
गहराई है जिसकी ,
अथाह सागर के समान !

माँ ,
एक शब्द ,
सबसे है न्यारा ,
सबसे प्यारा ये शब्द !

– सोनल पंवार

7 comments:

  1. sundar bhav.

    आज भी जब
    सख्त रास्तों से गुज़रता हूँ
    तो माँ को याद करता हूँ
    और फिर
    सख्त रास्ते भी
    मखमली कालीन बन जाते है!

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  2. बहुत सुन्दर कविता ..माँ पर जितना लिखा जाए ....कम ही है ,

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  3. मां वो शव्द है जिस मै छिपी है सारी सृष्टि. बहुत सुंदर लगी आप की कविता, धन्यवाद

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  4. आज 'मदर्स-डे' पर आपकी यह कविता बेहद पसंद आई, इसे हम 'ताका-झाँकी' पर साभार प्रकाशित कर रहे हैं-


    http://tak-jhank.blogspot.com/2010/05/blog-post_09.html

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  5. माँ एक शब्द नहीं
    एहसास है
    एक अटूट रिश्ता;
    एक विश्वास है

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  6. waah sonal ji ma kisi din ki mohtaaj nahi...

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  7. बहुत सुन्दर कविता :)

    मदर्स डे के शुभ अवसर पर ...... टाइम मशीन से यात्रा करने के लिए.... इस लिंक पर जाएँ :
    http://my2010ideas.blogspot.com/2010/05/blog-post.html

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