Saturday, April 18, 2009

".......आतंकवाद क्यूँ .......?"

”……आतंकवाद क्यूँ ……? “
है आतंक-ही-आतंक फैला इस जहान में ,
है दर्द-ही-दर्द फैला इस जहान में !
आतंक जो फैला रहा वो भी एक इंसान है ,
आतंक के साए में जो पल रहा वो भी एक इंसान है ,
तो एक इंसान दूसरे इंसान का दुश्मन क्यूँ है ?
इस प्यारे-से जहान में ये आतंकवाद क्यूँ है ?
कतरा-कतरा खून का है बिखरा हुआ यहाँ ,
हर शहर हादसों का शिकार हुआ यहाँ ,
आज़ाद हुआ ये देश आतंक का गुलाम क्यूँ है ?
इस प्यारे-से जहान में ये आतंकवाद क्यूँ है ?
यहाँ मन्दिर,मस्जिद,गिरिजाघर और गुरुद्वारे में ,
चैन और अमन का पाठ पढ़ाती गीता,कुरान,बाइबिल है ,
तो धर्म और मज़हब के नाम पर उठती ये दीवार क्यूँ है ?
इस प्यारे-से जहान में ये आतंकवाद क्यूँ है ?
आतंक की लपटों से दहला है ये जनजीवन सारा ,
आतंक के जलजले से बिखरा जग-संसार सारा ,
अपने ही वतन में हर वक्त इन आंखों में खौफ क्यूँ है ?
इस प्यारे-से जहान में ये आतंकवाद क्यूँ है ?
लहू का है एक ही रंग हर इंसान का यहाँ ,
दर्द का एहसास है एक हर इंसान का यहाँ ,
तो अलग-अलग धर्मों में बंटता हर इंसान क्यूँ है ?
इस प्यारे-से जहान में ये आतंकवाद क्यूँ है ?
आज़ादी की राह में न जाने कितने शहीद हुए ,
आतंक को मिटाने की कोशिश में कितने ही कुर्बान हुए ,
आज़ाद वतन की सरजमीं पर अब भी लाशों के ढेर क्यूँ है ?
इस प्यारे-से जहान में ये आतंकवाद क्यूँ है ?
इस एक सवाल पर कई और सवाल है खड़े ,
इस जवाब की तलाश में कई नेता है अड़े ,
फिर भी हर जवाब उलझन से भरा क्यूँ है ?
इस प्यारे-से जहान में ये आतंकवाद क्यूँ है ?
मेरे इस प्यारे-से जहान में ये आतंकवाद क्यूँ है ?…….
- सोनल पंवार

8 comments:

  1. प्रिय बन्धु
    खुशामदीद
    स्वागतम
    हमारी बिरादरी में शामिल होने पर बधाई
    मेरी सबसे बड़ी चिंता ये है कि आज हमारे समाज का शैक्षिक पतन उरूज पर है पढना तो जैसे लोग भूल चुके हैं और जब तक आप पढेंगे नहीं, आप अच्छा लिख भी नहीं पाएंगे अतः सिर्फ एक निवेदन --अगर आप एक घंटा ब्लॉग पर लिखाई करिए तो दो घंटे ब्लागों की पढाई भी करिए .शुभकामनाये
    अंधियारा गहन जरूरत है
    घर-घर में दीप जलाने की
    जय हिंद

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  2. aatankwad kyoon hai ?
    vaqt ka sabse bada sawal ........uttar bhee aajke vaqt ko hee dena hoga .

    swagatam !

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  3. गर आदमी न हो तो अधूरा है आदमी।
    और आदमी से आदमी बनता है आदमी।
    फिर कत्ल क्यों करता है आदमी का आदमी,
    जब आदमी के प्यार में रोता है आदमी।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  4. wahhh aatankwad ko kuch alag dhang se prastut kiya aapne ......swagat hai...waise kuch naye views or thoughts ke liye aapka mere blog par hamesha swagat hai...
    likhte raho ...yaar achhha likhte ho

    Jai ho Mangalmay ho

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  5. हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं ............
    इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

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  6. bahut khoob saamyik prashn hai ,aur aapkaa aalekh bhee, swaagat hai, likhte rahein...

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  7. ब्लोग जगत मे आपका स्वागत है। सुन्दर रचना। मेरे ब्लोग ्पर पधारे।

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