Monday, October 11, 2010

' दर्द '

' दर्द '

कोई शाख़ से पूछे ,
उसके पत्तों के गिरने का दर्द !
कोई लहरों से पूछे ,
साहिल तक न पहुँच पाने का दर्द !
कोई हवाओं से पूछे ,
कभी न थम पाने का दर्द !
कोई एक मकान से पूछे ,
नींव के हिल जाने का दर्द !
कोई चमन से पूछे ,
उसके उजड़ जाने का दर्द !
कोई इंसान से पूछे ,
अपनों से बिछुड़ जाने का दर्द !
ये दर्द सह पाना होता है बड़ा मुश्किल ,
कोई इस दर्द से पूछे ,
इसके अस्तित्त्व के होने का दर्द !

- सोनल पंवार

5 comments:

  1. दर्द का बयान खूब अच्छे से किया है आपने………॥मेरी शुभकामनाये

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  2. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!

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  3. आप भी कृपया मेरे ब्लाग "smshindi"को फालो करें. धन्यवाद...

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